ज़िंदगी नेक्स्ट @ 10
मित्रों,
आज जिंदगी नेक्स्ट अपने सफर के दस साल पूर कर, 11वें वर्ष में प्रवेश कर चुकी है. इन दस सालों में आपने हमें जो प्यार और अपनापन दिया, उसी के बूते हम अतिसीमित संसाधनों के बावजूद इसे जारी रखने का साहस और उत्साह बचाए हुए हैं.
11.11.11 को सुबह 11.11 बजे जब हमने जिंदगी नेक्स्ट को आपके सामने पेश किया था, तब हमें अपने कॉन्सेप्ट को लेकर काफी भय और आशंकाएं थीं. उस समय हमने इसे एक ऐसी वेबसाइट के रूप में आरंभ किया था, जिसमें अतीत से ज्यादा भविष्य की बात हो. ऐसी सामग्री हो, जिसके साथ इसके पाठक/दर्शक/विजिटर्स अपने आने वाले कल को बेहतर बना सकें. ‘ए टच आॅफ टुमारो’, ‘कल का सपर्श आज ही’ जैसे स्लोगन के साथ शुरू हुई जिंदगी नेक्स्ट हिंदी में अपने तरीके का पहला प्रयोग था.
हमने लगातार अपने आपको बदलते वक्त की जरूरतों के हिसाब से इॅवाल्व करना जारी रखा. बीच में कई बार तकनीकी दुर्घटनाएं भी हुईं, हम अनियमित भी हुए लेकिन हर बार स्फिंक्स की तरह ‘हम कि और मजबूत हुए हैं शिकस्ता होकर, टूटकर लोग जाने कैसे बिखरते होंगे’ की तर्ज पर उठ खड़े हुए और पहले से ज्यादा हौसले के साथ सफर का एक नया आगाज किया.
इॅवाल्यूशन जिंदगी की एक बड़ी जरूरत है और जिंदगी नेक्स्ट की भी. इसी बात को ध्यान में रखकर, हमने हाल ही में जिंदगी नेक्स्ट को एक अलग ही नया अंदाज और नया स्लोगन ‘अब जिंदगी के और करीब’ देते हुए एक ऐसे वीडियो पोर्टल का रूप दिया है, जिस पर जिंदगी के अलग—अलग रंग उनकी ओरिजिनलिटी के साथ अपनी छटा बिखराते नजर आएंगे.
और जिस कॉन्सेप्ट को लेकर हमने जिंदगी नेक्स्ट की शुरूआत की थी, वह अब और असरदार तरीके से हमारे एक और पोर्टल खबर नेक्स्ट पर अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करा रहा है. उस पर कल की बातें हैं, लेकिन परहेज वर्तमान से भी नहीं है.
योजनाएं तो बहुत हैं, सपने भी बहुत हैं… लेकिन संसाधन सपनों के मुकाबले काफी कम हैं. लेकिन जहाँ चाह होती है, वहाँ राह होती है और आपका साथ और शुभकामनाएं तो हमारे साथ हमेशा से हैं ही. इसलिए हमें यकीन है कि हम एक न एक दिन इसे समाज और जिंदगी का एक सबसे स्पष्ट और सबसे विश्वसनीय दर्पण बनाने में सफल होंगे.
तब तक के लिए इंतजार और दुआएं कीजिए.
प्यार सहित,
संदीप अग्रवाल
प्रधान संपादक—जिंदगी नेक्स्ट