Posted on Oct 27, 2022 at 7:15 pm · by Team ZN 0 सूरज का सरूर आके तेरी बॉंहों में, हर शाम लगे सिंदूरी… सूरज को देखकर लगता है कि धरती को देखकर यही गीत गुनगुना रहा है और अपनी किरणें इस तरह से बिखरा रहा है, जैसे बॉंहें फैलाकर धरती को आगोश में आने के लिए कह रहा हो. Team ZN View all posts by Team ZN → Comments are closed.