तू चल मैं आयी…
काले केबल पर धीरे-धीरे दौड़ती बारिश की बूँदें, शायद एक दूसरे से यही कह रही हैं. लेकिन एक प्रश्न भी पीछे छोड़ती जा रही हैं कि मिलन सम्पूर्णता हैं या समापन. अगर मिलना ही सब कुछ है तो क्यों एक बूँद, दूसरी से मिलते ही जमीन पर गिरकर अपने अस्तित्व को मिटा देती है.
- संदीप अग्रवाल