हौसलों में दम
नन्हीं मुन्नी एक गिलहरी…
बढ़ने से पहले ठिठकी ठहरी…
अभी तो शुरू हुआ ही था दिन
राह थी लंबी, डगर कठिन
जब दिल में ठानी जाना है पार
बाधाएं बहुत थी, न मानी हार
डरी डगमगाई, पर हर बार वो संभली
वो बढ़ती चली वो चलती चली
मन में साहस और उत्साह अपार
इसी लिए जीत पाई वो हर बार
- संदीप अग्रवाल