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अभिशप्त सौंदर्य

चंपावत जिले का गाँव खेतीखान, पहाड़ी सौंदर्य की एक जीती-जागती मिसाल है. यह सौंदर्य उस समय और बढ़ जाता है, जब बरसात के मौसम में आकाश यहाँ के पहाड़ों का जल से श्रंगार करता है. लेकिन, इस सौंदर्य के भीतर एक दर्द भी है, जिसे सहना खेतीखान की नियति बन चुका है.

चंपावत जिले का अधीकतर हिस्सा पहाड़ी क्षेत्र में आता है और हमारे गांव में कुछ कारणों पर लोग अक्सर बातें करते हैं हालांकि में इसको बुरी बात नहीं कह सकता क्योंकि से गांव की समस्याओं के बारे में बात होती है। हमारा गांव वैसे तो और गाँव की तरह ही साधारण है। गांव प्राकृतिक तौर बहुत सुंदर है। गांव का सही से विकास नही हो पाया है विकास का आशय गांव में मूलभूत आवश्यकताओं की कमी है बच्चों को विद्यालय के लिए 7से10किमी दूरी तय करती ऐसा ही स्वास्थ्य शुविधा का हाल है। गांव में रोजगार के साधनों का अभाव है जिस कारण गांव के लोग पलायन करने को मजबूर हैं। जिस कारण गांव खाली होता जा रहा है। गांव में फलों में नाशपाती, सेब शब्जी में आलू, प्याज, टमाटर, बैगन का उत्पादन भरपूर मात्रा में होता था लेकिन आज स्थिति प्रति कूल हैं। जंगली जानवर खेती को नष्ट कर जा रहे हैं। बारिश ना होने के कारण आज खेती करना मुश्किल हो रहा है जिस कारण लोग पलायन करने को मजबूर हैं। लोगों के पलायन के कारण अधिकतर भूमि बंजर हो रही है।

  • सुभाष चंद्र जकुरिया, खेतीखान, चम्पावत(उत्तराखंड)

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