आक्रमण और आत्मरक्षा
एक हाथ में तलवार, दूसरे में ढाल. अपने आपको बचाते हुए सामने वाले को हराने का लक्ष्य… युद्ध चाहे जंग के मैदान पर किया जा रहा हो, चाहे शहर की सड़कों पर, चुनौती कहीं कम नहीं होती. वहाँ दांव पर जान लगी होती है तो यहाँ सम्मान. इसलिए आक्रमण और आत्मरक्षा के बीच जबर्दस्त संतुलन बनाए रखते हुए सामने वाले से मुकाबला किया जाता है. सिखो का यह परंपरागत युद्ध कौशल प्रदर्शन, अमूमन धार्मिक आयोजनों के अवसर पर ही देखने को मिलता है.
- सुमित अग्रवाल, मंडी धनौरा से