रॉकेट लॉन्च
जब कोई रॉकेट अपने सफर पर होता है, तो उसकी रफ्तार 2,500 से 4,500 मीटर/सेकेंड होती है. लेकिन जब हम उसे आसमान में देखते हैं तो ऐसा लगता है कि जैसे वह किसी चींटी की गति से रेंग रहा हो. उससे भी दिलचस्प होती है, धुंए की वह सफेद लकीर जो उसके गुजर जाने के बाद भी आकाश की विभाजन रेखा की तरह मौजूद रहती है और धीरे-धीरे धुंधलाती हुई गायब हो जाती है, जैसे कह रही हो कि अभी आकाश धरती नहीं बना है, जिसे बॉंटा जा सके.
- सूरज तेलंग, नागपुर