मस्ती के पल
बचपन के दिन भी क्या दिन होते हैं, धमाचौकड़ी और उछलकूद के बिना तो बचपन, बचपन ही नहीं लगता. यह एक अलग बात है कि अब यही उछलकूद करने के लिए आपको अपनी जेब भी हल्की करनी पड़ जाती है. खैर, इसमें बुराई भी क्या है. बच्चों को मनोरंजन मिल जाता है और कुछ लोगों को दो जून की रोटी.