मटके की ताप
मटके की थाप सें संगीत उत्पन्न होता है तो मटके की ताप से रोटी। रोटी शब्द ही अपने आप में कमाल है। पृथ्वी की तरह यह भी गोल है। कोई दो रोटी के जुगाड के लिए जद्दोजहद में लगा है तो कोई रोटी कपड़ा और मकान के लिए , धनवान हो या गरीब सभी इसके लिए दौड़ रहे है।
परिवर्तन प्रकृति का नियम है, रोटी ने भी अपने स्वरूप बदले हैं। नान, परांठा, मीठी रोटी, फुल्का, लच्छा, परांठा, रूमाली रोटी, तंदूरी रोटी प्रचलित है। साथ ही लंबी रोटी जिसे मटका रोटी भी कहते है, इसका प्रचलन भी कई वर्षो से है। अपनी घरेलू परंपरा को बरकरार रखते हुए श्रीमती श्रृंखला भगत इसका व्यवसाय करती हैं और उनका साथ उनके पति संजय भगत देते हैं। लंबी रोटी बनाना अपने आप में एक सुंदर कला है। आज कई लोग इसमें माहिर होकर अपनी रोजी रोटी कमा रहे हैं।
- सूरज तेलंग, नागपुर