पिंजरें में परिंदे
जिस तरह से खुशबू को कैद नहीं किया जा सकता, उसी तरह खूबसूरती को भी पिंजरे में बंद करके नहीं रखा जा सकता. खूबसूरती, खुशी से बढ़ती है और पिंजरे में कैद रहकर परिंदे कभी खुश नहीं हो सकते. हम भले ही उन्हें देखकर खुशी महसूस करते हों, लेकिन अगर हम आजादी खोने की उनकी पीड़ा को महसूस करने लगें तो खुशी उदासी में बदल जायेगी.
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