Ab life ke aur kareeb

यूँ ही चला चल…

सड़क पर सफर करते समय दृश्य कुछ इस कदर तेजी से बदलते हैं कि ऑंखें कुछ भी दोबारा नहीं देख पातीं. शायद इसी को देखकर शायर के दिमाग में ये लाइन आयीं होंगी कि आदमी ठीक से देख पाता नहीं, और पल में ये मंजर बदल जाता है…

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