Ab life ke aur kareeb

सूरज का सरूर

आके तेरी बॉंहों में, हर शाम लगे सिंदूरी… सूरज को देखकर लगता है कि धरती को देखकर यही गीत गुनगुना रहा है और अपनी किरणें इस तरह से बिखरा रहा है, जैसे बॉंहें फैलाकर धरती को आगोश में आने के लिए कह रहा हो.

Comments are closed.