Ab life ke aur kareeb

आग या धुँआ ?

कहते हैं कि बिना आग के धुंआ नहीं उठता. धुंआ तो यहां भी है, लेकिन आग नजर नहीं आ रही है. हो सकता है कि किसी शहर के किसी कोने में लगी किसी फैक्ट्री की कोई चिमनी धुंआ उगल रही हो, या हो सकता है कि किसी ने कचरे के ढेर में आग लगाई हो. जब तक हम वजह तलाशते हैं, आप अरिजित सिंह और पवनी पांडे का धुआँ धुआँ सी है ज़िंदगी, धुंधला सा है ख्वाब कहीं… गीत गुनगुना सकते हैं.

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