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कण्व आश्रम

लगभग साढ़े पाँच हजार साल पुराने दौर की यादें ताजा कराता कण्व आश्रम, देश के उन गिने—चुने सर्वाधिक प्राचीन पुरास्थलों में से एक है, जिनका कुछ अस्तित्व अभी तक शेष है. उत्तराखंड में कोठद्वार के करीब स्थित यह आश्रम म​हर्षि कण्व और विश्वकर्मा की तपोस्थली के रूप में जाना जाता है साथ ही यह वह जगह है, जहाँ राजा दुष्यंत और शकुंतला का गंधर्व विवाह और उनके पुत्र भरत का जन्म हुआ था. वही भरत, जिनके नाम पर हमारे देश का नाम भारतवर्ष पड़ा. सुरमई शाम के साये में भले ही इसकी छवियां कुछ धुंधली नजर आ रही हों, लेकिन समय के चक्र ने इस पावन स्थल की गरिमा और महत्ता को जरा भी धूमिल नहीं होने दिया है.

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